बड़ी अपडेट: हरियाणा में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 16,840 पद खाली, आंगनबाड़ी और हेल्थ वर्कर के 7000 पद खाली

चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी का मामला विधानसभा में गूंजा। राज्य के शिक्षा मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि फिलहाल प्रदेश के 14,295 स्कूलों में 16,840 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। यह संख्या बेहद चिंताजनक है, क्योंकि प्रदेश में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 1,21,200 है, जबकि वर्तमान में केवल 1,04,180 शिक्षक ही कार्यरत हैं।

विषय उठाने वाले विधायक

नूंह के विधायक आफताब अहमद ने सदन में यह सवाल उठाया था कि आखिर इतने बड़े स्तर पर पद खाली क्यों हैं और सरकार इन्हें भरने के लिए क्या कदम उठा रही है। इस पर शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि अलग-अलग श्रेणियों में शिक्षकों की नियुक्तियों की प्रक्रिया जारी है।

विभिन्न श्रेणियों के रिक्त पद

सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेश में मुख्याध्यापकों के 916 पदों में से 819 भरे हुए हैं, जबकि 97 पद खाली हैं। पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) के 37,738 पदों में से 30,291 पर शिक्षक कार्यरत हैं और 7,447 पद रिक्त हैं। इसी तरह ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) के 29,528 पदों में से 27,314 भरे हुए हैं और 2,214 पद खाली पड़े हैं। प्राथमिक अध्यापकों के 37,759 पदों में से 35,502 भरे हुए हैं और 2,257 रिक्त हैं।

आंगनबाड़ी और हेल्थ वर्कर के भी हजारों पद खाली

केवल शिक्षा विभाग ही नहीं बल्कि आंगनबाड़ी वर्कर्स के 28,566 पदों में से 2,856 खाली हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट में भी 48,099 पदों में से 4,809 पद रिक्त हैं। इससे स्पष्ट है कि न केवल शिक्षा बल्कि स्वास्थ्य और बाल विकास विभाग भी स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं।

पदोन्नति कोटा बढ़ाया

सरकार ने हेडमास्टर्स के लिए पदोन्नति कोटा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। उम्मीद है कि इससे लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे शिक्षकों को लाभ मिलेगा और रिक्तियों की स्थिति में सुधार आएगा।

रोजगार और नियुक्तियाँ

युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमिता मंत्री ने सदन को बताया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) के माध्यम से अब तक 1,29,430 नियुक्तियाँ की जा चुकी हैं। सभी नियुक्तियों में आरक्षण कोटा का पालन किया गया है, जिसमें महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिए 20 प्रतिशत, दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण शामिल है।

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